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SIP or SWP की मदत से आप खुद भी अपने पैंसे को यूलिप प्लान की तरह बेहतर Retirement ले सकते है |
निचे दिए गई तालिका में कम से कम Interest के साथ आपके Retirement की प्लानिंग की गई है | म्यूच्यूअल फंड्स में आपके लिए ये सभी Options है |
अगर आप भी सोच रहे है सेविंग इंवेस्टमेंटन की तो ये १० साल वाला इन्वेस्ट में आपके लिए बहुत ही अच्छा है |
पोस्ट ऑफिस और नार्मल बैंक सेविंग से बहुत अच्छा है |
म्यूच्यूअल
फण्ड से जुडी जानकारी और म्यूच्यूअल फण्ड में पैंसें डालने के लिए आप कॉल कर सकते है
म्यूच्यूअल
फण्ड से जुडी कुछ बातें |
1. म्यूच्यूअल फण्ड में आप हर महीने पैंसे डाल सकते है |
2. म्यूच्यूअल फण्ड में पैंसें डालने के लिए उसी बैंक का अकाउंट होना जरुरी नहीं है |
3. हर महीने
पैंसे डालने के लिए कोई भी समय अच्छा और बुरा नहीं होता आप कभी भी सिप सुरु कर सकते
हो |
4. म्यूच्यूअल
फण्ड में आपको प्रॉफिट लगभग १२% से ऊपर मिल सकता है
5. म्यूच्यूअल
फण्ड में एक साथ भी पैंसें डाल सकते है |
म्यूच्यूअल फण्ड में अकाउंट खोलने के लिए और पैंसें डालने के लिए आप
मुझे कॉल या SMS कर सकते है |
अगर आपका
म्यूच्यूअल फण्ड किसी भी बैंक से है और आपको वहां से अच्छी सुविधा नहीं मिल रही है
तो आप मुझे संपर्क कर सकते हो |
Deepak Singh
9760957096
Systematic Investment Plan (SIP) allows
you to invest a fixed amount a t regular
intervals in a Mutual Fund scheme.
Power of compounding- Regular investments in a scheme leads to
compounding which means you can earn returns not only on your
principal investment but also on your gains.
Flexibility- You have the flexibility to choose the amount, duration
and the inter val of the SIP .
Disciplined investing- Investment via SIP inculcates the value of
disciplined investing as you are committed to investing for a fixed
period of time which is essential for long term wealth creation.
Market can fluctuate, Your Peace of Mind Shouldn't.
SBI BALANCE ADVANTAGE FUND
An open ended dynamic assets allocation fund
FLEXIBILITY - Optimal mix of long equity, arbitrage
and fixed income based on current economic &
market conditions.
LOWER VOLATILITY - Dynamically managed debt
and equity portion
TAX EFFICIENCY - Endeavors to provide benefits
of equity taxation*
Magnum Children's Benefit Fund
SAVINGS PLAN | INVESTMENT PLAN
म्यूचुअल फंड में बहुत से निवेशकों का पैसा एक जगह जमा करा जाता है और इस फंड में से फिर एक साथ जमा पैसों को बाज़ार में निवेश किया जाता है। म्यूचुअल फंड को एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) द्वारा मैनेज किया जाता है। AMC में कई तरह के म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं। जो हर किसी की जरुरत के हिसाब से बनाया जाता है |............................|
मैनेज करने में आसान और सरल : आप किसी भी दिन कितने भी पैसे म्यूच्यूअल फण्ड से निकल और जमा कर सकते है |जबकि यह बैंक FD, PPF या बीमा में से निकलना और जमा करना इतना आसान नहीं है |
कई विकल्प: म्यूचुअल फंड में आपको कम निवेश में कई स्टाक और बांड की इक्विटी लेने की सुविधा मिलती है। आप जिस भी म्यूचुअल फण्ड में निवेश करते हैं उस फण्ड को किसी एक जगह निवेश नहीं करा जाता है। बल्कि अलग-अलग जगह निवेश किया जाता है ताकि किसी एक क्षेत्र में मंदी आने से भी अन्य क्षेत्र से लाभ प्राप्त क्या जा सके।
कम फीस: म्यूचुअल फंड एक्सपेंस रेश्यो आमतौर पर आपके निवेश के 1.5-2.5% तक ही होता है। जो एक्सपेंस रेश्यो वो फीस होती है जिसे आप AMC को अपना फण्ड (निवेश) मैनेज करने के लिए देते हैं। यह इसलिए कम है क्योंकि एक म्यूचुअल फण्ड में कई लोग निवेश करते हैं और सब के बीच ये फीस बाँट दी जाती है। तो हर एक के हिस्से में फीस काम ही आती है |
पारदर्शिता: म्यूचुअल फंड सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा ही रेगुलेट किए जाता हैं और उनके NAV (नेट एसेट वैल्यू) या कीमत को प्रतिदिन के आधार पर ही ली जाती है। और उनके पोर्टफोलियो की घोषणा भी हर महीने ही की जाती है और इनके बारे में विभिन्न जानकारी भी जनता को मंथली दी जाती है।
आपको सबसे पहले ये चुनना होगा की आप किस प्रकार के फण्ड में निवेश करना चाहते हैं। व्यापक रूप से, इक्विटी फंड तभी चुने जाने चाहिए जब आप ज़्यादा जोखिम उठाने को तैयार हों और इसकी समय सीमा 5 वर्ष से अधिक भी हो। अगर आप मध्यम जोखिम उठा सकते हैं, तो आप हाइब्रिड फंड में निवेश भी कर सकते हैं। यदि आप कम जोखिम लेना चाहते हो , तो आपको डेट फंड में ही निवेश करना चाहिए। ध्यान दें, सभी म्यूचुअल फंड यहां तक कि डेट फंड में भी कुछ जोखिम भरे होता है।
आप किस प्रकार के फंडों में निवेश करना चाहते हैं, इसके बाद आप एक फण्ड उसमें से चुन सकते हैं। ये फण्ड चुनने के लिए एक समयसीमा में उसका प्रदर्शन देख सकते है , उसकी तुलना कर फंड चुन सकते हैं। कुछ अन्य कारक, जिन पर आप भी विचार कर सकते हैं और उनके बारे में और अधिक जान करी ले सकते है .
फंड मैनेज का अनुभव होना – फंड मैनेज करने वाली कंपनी कब से फण्ड मैनेज कर रही है और उसके मैनेजर्स कौन है और उसका ट्रैक रिकॉर्ड क्या है। उसके पिछले अनुभव को भी देखा जाये |
पोर्टफोलियो – पोर्टफोलियो में ये देखना होता है की फण्ड में कौन कौन सी कंपनियों की इक्विटी है और कितनी कंपनियों की इक्विटी और डेब्ट फण्ड में है और उनका क्या क्या % लिया गया है | जो आपके फण्ड में आपके मुनाफे को स्थिर करता है |
एक्सपेंस रेश्यो – ज़्यादा एक्सपेंस रेश्यो से आप जितना लाभ कमाते हैं उसका एक बड़ा हिस्सा उसके लिए दे देते हैं और इस तरह आपका लाभ घट जाता है। लेकिन ये एक्सपेंस आपके फण्ड को मैनेज करने और उसमे आपके मुनाफे को लेन के लिए जो भी खर्चा हुआ है वो होता है |
अगर आप जानना चाहते हैं कि हमारी रिसर्च के मुताबिक, कौन सा फण्ड बेहतर है? तो ऊपर दिए गए फॉर्म को भर म्यूच्यूअल फण्ड स्टेटस .कॉम में लॉग-इन करें और जानकारी पाएं।
आपको सबसे पहले KYC करनी है ये आपके पहचान के लिए होती है। इस प्रक्रिया में पहचान और पते के दस्तावेज़, जैसे आधार और पैन कार्ड और एक पासपोर्ट फोटो जमा करना शामिल है म्यूच्यूअल फण्ड स्टेटस में KYC प्रक्रिया ऑनलाइन की जाती है। आपका KYC पूरा होने पर आपको म्यूचुअल फंड चुनने और भुगतान के लिए आवेदन करना होगा जो ऑनलाइन हेल्प से भी आप ले सकते हो । म्यूच्यूअल फण्ड स्टेटस में आसान कागजी काम और कम से कम परेशानी से यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी कर सकते हैं।
ऑनलाइन निवेश के लिए, बस ऊपर दिए गए रजिस्ट्रेशन लिंक बॉक्स को भरें और ऑनलाइन निवेश के लिए बताए गए चरणों का पालन करें। या कॉल भी कर सकते हो |
म्यूचुअल फंड में कोई भी निवेश कर सकता है। न्यूनतम 500 रुपए या 1000 रुपए तक का निवेश भी कर सकते हैं। भारतीय निवासी और NRI दोनों म्यूचुअल फंड में निवेश भी कर सकते हैं। आप अपने जीवनसाथी या बच्चों के नाम पर भी साथ साथ निवेश कर सकते हैं। यदि आपका बच्चा नाबालिग है और ( 18 वर्ष से कम), तो उसके नाम पर निवेश करते समय आपको अपनी जानकारी देनी होगी। जब तक वह 18 वर्ष का नहीं हो जाता है, तब तक आप खाते को मैनेज कर सकते हो । यहाँ तक कि सभी पार्टनरशिप कम्पनियाँ, LLP, ट्रस्ट और कंपनियां भी म्यूचुअल फंड में अपना निवेश कर सकते हैं।
उत्तर: म्यूचुअल फंड बाज़ार से जुड़े निवेश हैं और इस तरह वे कभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं समझे जाते है |हालांकि, जोखिम कम करने के लिए इन पर कई तरह के नियम लागू होते हैं और म्यूचुअल फण्ड में से पैसा कई क्षेत्रों में निवेश करा जाता है, इस तरह स्टॉक या बॉन्ड के मुकाबले इनमें काम से कम जोखिम होता है।
प्रश्न. आप म्यूचुअल फंड से पैसे कैसे कमाते हैं?
उत्तर: म्यूचुअल फंड के माध्यम से पैसा बनाने के दो प्रमुख तरीके होते है – समय-सीमा और ग्रोथ। समय-सीमा में, निवेशक एक निश्चित समय के लिए निवेश भी करता है और समय के दौरान उसे स्कीम से लाभ प्राप्त होता रहता भी है। ये विकल्प उन निवेशकों द्वारा चुना जाना जाता जो निवेश को भी बनाए रखना चाहते हैं तथा लाभ भी कमाना चाहते हैं। वहीं ग्रोथ में लाभ की गारंटी निश्चित नहीं होती है, निवेश कुछ यूनिट या शेयर खरीदकर अपने पास रख लेता है, उन यूनिट का मूल्य समय के साथ बढ़ता या घटता रहता है जब निवेशक को लगता है कि ये सही समय है तभी वो उन यूनिट को बेचकर लाभ कमाता रहता है। ध्यान दें, कि 2018 के बजट के बाद, टैक्स बचाने के लिए ग्रोथ विकल्प में निवेश करना ज़्यादा बेहतर समझा जाता है।
उत्तर: विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि बाज़ार में निवेश करने के लिए सही समय का इंतेज़ार करने के बजाए बाज़ार में निवेश करना ज़्यादा बेहतर समझा जाता है। बाज़ार सुधार की प्रतीक्षा न करें क्योंकि इस प्रतीक्षा की कोई निश्चित अवधि नहीं होती है। इसलिए इसे लेकर कोई भविष्यवाणी करना बहुत कठिन रहता है। इसके बजाय, ये देखें कि आप कितना जोखिम ले सकते हैं, और आपका लक्ष्य क्या है और बिना देरी किए निवेश करें। एक साथ न करके हर महीने निश्चित निवेश ही करें |
उत्तर: बाज़ार से जुड़े होने के कारण, म्यूचुअल फंड में जोखिम रहता है, इसलिए निवेश की गई मूल राशि का नुकसान हो भी सकता है। हालांकि, म्यूचुअल फण्ड के प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि आपके सभी पैसे खोने की संभावना नहीं रही है।
प्रश्न. ग्रोथ स्टॉक म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं?
उत्तर: ग्रोथ स्टॉक म्यूचुअल फंड नाम का कुछ भी नहीं है, हालांकि म्यूचुअल फंड के मामले में ग्रोथ एक विकल्प है। ग्रोथ में फंड मूल्य में वृद्धि से से लाभ मिलते रहते हैं। जब निवेशक अपनी म्यूचुअल फंड यूनिट बेचता है, तो लाभ का पता लगता है कि उसे किनते का लाभ हुआ है ।
उत्तर: लम्बे समय में, इक्विटी स्कीम में औसतन लगभग 15%, डेट स्कीम में लगभग 12% और हाइब्रिड स्कीम में लगभग 10% का वार्षिक रिटर्न (लाभ) मिलता है। हालाँकि, ये बाज़ार से जुड़े निवेश हैं, म्यूचुअल फंड स्कीम का पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं देता है। क्यों कि इसमें हर वर्ष कोई एक सामान लाभ कि प्राप्ति नहीं होती है |
उत्तर: म्यूचुअल फंड स्कीम की लाभ की गणना फ़ॉर्मूला (कुल लाभ / मूल निवेश) x 100 से निकाली जाती है ।
प्रश्न. NAV क्या है और एन.ए.वी की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर: NAV (नेट वैल्यू असेट): म्यूचुअल फंड यूनिट का मूल्य होता है। NAV की गणना = (कुल फंड मूल्य – कुल फंड देन दारियां)/ स्कीम के बकाया यूनिट्स की कुल संख्या उपयोग कर किया जाता है |
प्रश्न. किसी म्यूचुअल फंड की औसत ब्याज दर क्या है?
उत्तर: म्यूचुअल फंड बाज़ार से जुड़े निवेश हैं और गारंटीड रिटर्न नहीं देते हैं. कि लाभ हो इसलिए.रिटर्न की गारंटी नहीं है, लेकिन ये बाज़ार में वर्तमान में उपलब्ध विभिन्न निवेशों की तुलना में से अधिक ही लाभ देते हैं।
प्रश्न. किसी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए आपको कितना धन चाहिए?
उत्तर: आपके द्वारा निवेश किए जाने वाले फंड के आधार पर न्यूनतम निवेश राशि भिन्न 500 हो सकती है। हालाँकि, आप न्यूनतम 500 रु. /1000 रु.निवेश कर सकते हैं।
प्रश्न. क्या मैं म्यूचुअल फंड कभी भी बेच सकता हूं?
उत्तर: अधिकांश म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड ही होते हैं, मतलब आप उन्हें कभी भी निकाल सकते हैं। आमतौर पर क्लोज एंड स्कीम की 3-4 वर्ष की लॉक-इन अवधि की होती है। इस अवधि के बाद आप अपनी इच्छा के अनुसार उनकी अवधि नहीं बढ़ा सकते हैं। एक तीसरे तरीके की स्कीम है जिसमें, म्यूचुअल फन कुछ समय के लिए लॉक-इन हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद ओपन एंडेड हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, टैक्स सेविंग या ELSS. की लॉक-इन अवधि 3 वर्ष की होती है। इस समयावधि के बाद, आप ये फंड किसी भी समय बेच सकते जिनको समय पूरा हो गया हो |
उत्तर: नहीं, म्यूचुअल फंड शोर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) नियम के अधीन ही हैं। अलग-अलग म्यूचुअल फंड जैसें, इक्विटी और डेट पर कई तरह का टैक्स लगता है। म्यूचुअल फंड लाभांश के मामले में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लागू हो जाता है और फंड के अनुसार स्रोत पर टैक्स कटौती की जाती रहती है।
उत्तर: ओपन एंडेड फंड वो फण्ड हैं जिनमें कभी भी निवेश कर सकते हैं, और उन्हें कभी भी बेच सकते हैं। क्लोज़ एंडेड फंड को केवल AMC से न्यू फण्ड ऑफर (NFO) के दौरान एक निश्चित समय में खरीदा जा सकता है।
उत्तर: सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान या सिप नियमित समय पर म्यूचुअल फंड में एक निश्चित राशि निवेश करते हैं। उदाहरण के लिए, प्रत्येक महीने म्यूचुअल फंड में 5,000 रूपए निवेश। SIP आपका निवेश बढ़ाते हैं और आपको बाज़ार में अधिक मूल्य (खराब समय) में फसने से बचाते हैं। SIP इक्विटी फंड में ज़्यादा लाभदायक होते हैं ना कि डेट फण्ड में।
लम्पसम निवेश एक बार में किए जाने वाले निवेश होते हैं। यदि आपको अपने निवेश पर ज़्यादा ही विश्वास है, तो ही आपको लम्पसम निवेश करना ही चाहिए। यदि फंड का NAV लगातार बढ़ता है, तो SIP के बजाय लम्पसम ज़्यादा लाभ देगा। ELLS में लुम्सुम ही निवेश करना चाहिए |
प्रश्नः डायरेक्ट या रेगुलर प्लान क्या है?
उत्तर: रेगुलर प्लान में डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन शामिल होता हैं। ये कमीशन फंड मूल्य के 0.5% से 1% तक है। दूसरे शब्दों में, आपके निवेश का 0.5% से 1% इन योजनाओं के लिए डिस्ट्रीब्यूटर को हर वर्ष भुगतान किया जाता है। डायरेक्ट योजनाओं में डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन शामिल नहीं हैं।
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